Raipur. क्या छत्तीसगढ़ में इस समय आरक्षण शून्य है ? याने किसी भी भर्ती या कि शैक्षणिक प्रवेश में आरक्षण रोस्टर लागू नहीं है ? छत्तीसगढ़ सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम में जो जानकारी दी है उसके अनुसार तो इसका जवाब यही है कि, इस समय प्रदेश सरकार में कोई आरक्षण लागू नहीं है। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग सचिव कमलप्रीत सिंह ने इस मसले पर यह कहा है कि, आरटीआई में क्या जवाब किसने किसे दिया वह यह नहीं जानते लेकिन इस मसले पर महाधिवक्ता से अभिमत जरुर माँगा गया है, जो कि अभी आया नहीं है।
क्या है मसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर बीते 19 सितंबर को आदेश पारित कर आरक्षण पर 2012 में जारी किया गया संशोधन असंवैधानिक बता दिया है। मसला केवल यह नहीं है कि प्रदेश में संशोधित आरक्षण रद्द किया गया है, मसला यह क़ानूनी पेंच है कि, जबकि कोई संशोधित आदेश रद्द होता है तो मूल भी स्वयमेव रद्द हो जाता है। हालाँकि इसे लेकर विधिवेत्ताओं की राय और नज़रिया अलग अलग है। लेकिन मसला ऐसा उलझा है कि, जवाबदेह चुप्पी साध गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट स्टे देने से इंकार कर चुका है
यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को विचारण के लिए तो स्वीकारा है पर स्टे देने से साफ़ इंकार कर दिया है। वहीं यह भी एक मसला सुप्रीम कोर्ट में है कि, राज्य सरकार इस मामले में प्रतिवादी बन गई है जबकि उसे अपीलार्थी होना था। अब चुंकि स्थगन नहीं मिला है और हाईकोर्ट का आदेश प्रभावी है ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि आख़िर राज्य में आरक्षण की स्थितियाँ क्या है ? अब इस RTI ने स्थिति स्पष्ट की है लेकिन फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है मसला
आरक्षण पर हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद मेडिकल कॉलेज समेत कई व्यवसायिक शैक्षणिक सत्रों में विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है, उसमें पुराने याने 2012 के पहले की स्थिति पर प्रवेश की व्यवस्था दी गई है, लेकिन मसला यह है कि वह पुराना आरक्षण रोस्टर यदि प्रभावी है तो फिर आरटीआई में सरकार यह क्यों लिख रही है कि फ़िलहाल प्रदेश में नियम और रोस्टर सक्रिय होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा है कि, उच्च न्यायालय का आदेश केवल संशोधित आरक्षण को रद्द करता है,वह आदेश इसके मूल एक्ट को प्रभावित नहीं करता इसलिए पुरानी व्यवस्था प्रभावी होना गलत नहीं है।